Saturday 2 September 2017

तू माझ्या जीवनात यावी,  कोऱ्या कागदाची कविता जशी व्हावी.


बनून  उंन-पाऊस भरेल मी तुझी ओंजळ,  येऊन ओलांड उंबरा माझ्या दारचा साजन.


बांधूया प्रीतीचे बंध असे,  ज्यात कुठल्याच संशयाचा स्पर्श नसे.

एक-दुसऱ्याचे राहू असा आपला प्रण असावा,  माझ्या सावलीत नेहमीच तुला विसावा.

Saturday 6 May 2017

येत  आहे  तो  क्षण  नवीन  नाती  जुळवण्याचा,
जोडी  दाराची  साथ  घेऊन  अनोळख्या   वाटेवर  चालण्याचा.

वाटेवर  चालत  असतांनाती संपे पर्यंत साथ देण्याचा.
सुख-दुख  हा  खेद  खेड्तांना, मनी  समाधान बाळगण्याचा.

गम्मत   मस्ती  करतांना, रुसवे  फुगवे  झेलण्याचा,
प्रेमळ  गोष्टी  करतांना, एक दुसऱ्यात हरवण्याचा.

वाटेतले  चिखल- गढढे  ओलांडतांना , जपून  पाऊल  टाकण्याचा,
संकटांना  सामोरी  जात्तांना  एकमेकांच्या  पाठीशी  उबे  राहण्याचा.

अंधार्या  वाटेवर  चालतांना , उज्वल  दीप  पेटवण्याचा,
दीप  असो  विश्वासाचा , डोळे  मिटून  चालण्याचा.
                            
                                      - Hemant Fegade
                                                                            12 Nov 2016.

Tuesday 21 June 2016

थंड वारा पसरला,माती चा गंध दरवडला,
पावसा तुझ्या आगमना ने निसर्ग बहरून उठला.

Sunday 14 December 2014

स्वप्न सुंदरी

सादगीत  लपलेले  रूप  सुंदर  साजरे, 
लाजण  तुझ  पाहुनी  मन हि  माझे  पाझरे. 

भेटुनी  तुझ  वाटते  क्षण  हे  स्वप्नातले, 
राहू  दे  असेच  जन्मो  जन्मीचे  साथ  आपले. 

तू चांदणी  तारांगणात  चमचमणारी, 
माझ्या  प्रत्येक  विचारात  टीमटीमणारी. 

तू  रुसले  कि  आभाळ  ढगांनी  भिजते, 
मग  हसल्यावर  पावसात  सप्त  रंग  दिसते. 

बिते  ना  माझा  वेड , माझा  क्षण, 
माझ्या  प्रत्येक  क्षणात  फक्त  तुझीच  आठवण. 

मला  आत  खेचून  घेणारी  तू  समुद्राची  स्वच्छंद  लाट, 
तू  कोमल  फुलांच्या  सड्यात  भिजलेली  पायवाट. 

तुला  मिळवण्याच्या  विचाराने  पण   होतो  आनंद  किती, 
तू  माझी  नसतांना  पण  तू  दूर  जाण्याची  मला  भीती.
                                                             - हेमंत फेगडे.
                                                             २२ जून २०१४.    
                                               

Saturday 2 August 2014

मुंबई - पुणे - मुंबई

मुंबई - पुणे - मुंबई,
माझा प्रवास..............

मुंबई हून आलो पुण्यात ,मित्रान सोभत मज्जा करायचो,
जोब होता SB रोड ला , कर्वे नगर ला आम्ही राहयचो.

कर्वे नगर ची ती संध्या ,आणि तिथला चहा,
तुम्ही कधी तिथे येउन, माहोल तिथला पहा.

शनिवार रविवार गेला फिरण्यात, झालो नाही कधी बोर ,
कधी फिरले झेड ब्रिज, तर कधी FC रोड.

जेवण खानदेश चे घरची आठवण, आणि सुजाता ची मस्त मस्तानी,
आठवतील या सर्व गोष्टी, पुण्या पासून दूर अस्तांनी.

चल आता जाऊ मुंबई, पण मुंबई च काय…………,

बिल्डिंग चे गेट सोडले कि रांगांची रांग लागते,
मग रिक्षा, बस, ट्रेन चे तिकीट काही पण कारण चालते.

रस्त्या वरून चालणारा प्रत्येक माणूस धावत असतो,
मिनिटाला 100 पाऊले असा त्याचा हिशेब असतो.

मुंबई लोकल मध्ये चढणे उतरणे हा सुद्धा एक प्रवास असतो,
तो कोणा वर नसून, पुढे उभ्या असणार्यावर तो अवलंबून असतो.

मग मागच्या ला उतरायचे आहे म्हणून तोही बेफिक्र असतो,
बाहेर पडल्या वर मग तो शर्टाच्या च्या सुरकुत्या मोजतो.

घरी जाण्याच्या विचाराने पण आनंद होतो,
पर्तेकाचा जाण्यचा मार्ग मात्र वेगळा असतो,
प्रेयसी बरोबर समुद्राकाठ किंवा गार्डन मधली किलबिल,
मित्र बरोबर बार नाहीतर किंगफिशर चा छोटा पिंट,
नाहीतर घरी जाऊन क्रिकेट मेच बघण्याची धावपळ.....

मुंबई - पुणे - मुंबई

                                                                                                                   २२ मार्च २०१४
                                                                                                                    हेमंत फेगडे.